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पैर खोया, लेकिन हौंसला नहीं… दिव्यांग होकर भी शरीर को बनाया फौलाद, अब पैरालंपिक की तैयारी….!

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ईश्वर ने हर इंसान को अलग बनाया है कोई जन्मजात प्रतिभाशाली होता है तो कोई सीखकर हुनर वाला बनता है तो किसी को उसके हालात हुनरबाज बना देते हैं। अगर कोई इंसान शारीरिक रूप से अपूर्ण है तो ईश्वर उसे भी कोई न कोई शक्ति देता है लेकिन हर इंसान उस आत्मिक शक्ति की पहचान नहीं कर पाता । और जो उस शक्ति की पहचान कर लेता है वह कुछ अलग कर गुजरता है।
तो आइए अब हम रूबरू होते हैं एक ऐसे शख्स से जिसने अपनी कमजोरी को ताकत बना कर खुद को भीड़ से अलग साबित किया… जी हां पढ़ते हैं दिव्यांग से फौलाद बने पवन की यह कहानी….. राजस्थान (अजमेर) के रहने वाले पवन का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। जैसा कि हर माता-पिता का एक सपना होता है अपने बच्चों की कामयाबी और खुशहाल जीवन का उसी तरह पवन के माता-पिता ने भी पवन के लिए बहुत सपने संजोए हुए थे । पवन का बचपन मौज-मस्ती में बीता ! वह दूसरे बच्चों की तरह खेला करता था, और बच्चों के साथ हर प्रकार की गतिविधियों में हिस्सा लेता था । लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था । पवन के साथ हुए हादसे ने उसकी पूरी ज़िंदगी को बदल दिया ।

दस साल की उम्र में पवन का एक सड़क दुर्घटना में एक्सीडेंट हो गया, जिसमें पवन ने अपना एक पैर गंवा दिया । उस दुर्घटना से पवन और उसके माता-पिता बहुत टूट गए । उन्हें बहुत दुःख हुआ और उन्हें लगने लगा कि मेरी ज़िंदगी खत्म हो गई है। दो साल तक पवन अपने पैरों पर नहीं चल पाया । उसे जहाँ भी जाना होता, किसी की मदद की ज़रूरत होती। एक समय ऐसा आया जब पवन जिंदगी से हताश हो गया और उसे लगने लगा कि अब मैं बेकार हूँ।

पवन अपने इस हालात पर रोने के अलावा और कुछ नहीं कर पा रहा था। पवन मन ही मन भगवान से इसके लिए शिकायत करता और बातें करता था । पवन को इस हाल में देखकर उसकी मां बहुत चिंतित रहने लगी । एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से पवन की मां का देहांत हो गया । दस वर्ष के बच्चे के साथ नियति असहनीय खेल,खेल रही थी। ऐसा लग रहा था मानो ईश्वर ने सभी दुःख उस बच्चे के हिस्से में लिख दिए हों । वह समय पवन की जिंदगी का सबसे बुरा समय था । अब पवन को लगने लगा था कि उसे यह दुनिया छोड़ देनी चाहिए । अब एक तरफ पवन अपनी जिंदगी समाप्त करने की सोचता और दूसरी तरफ उसे अपने पिता और अपनी बहन दिखाई दे रहे थे । दस वर्ष का बच्चा जिंदगी और मौत की जिद्दोजहद् में फंसा रहने लगा । अंत में उसने फैसला किया कि अब मुझे खुद से लड़ना है और अपनी बहन और पिता के लिए जीना है।  पवन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था उसने अपने सपनों के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे वह क्रिकेट का एक अच्छा खिलाड़ी बन गया । पवन को पैरा क्रिकेट टीम में चयनित कर लिया गया । और इस तरह उसने अपना एक सपना पूरा कर लिया । क्रिकेट में पवन को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिलीं और उसे स्वयं के पैसे खर्च करके खेलने जाना पड़ता था । आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने की वजह से पवन ने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया । अब पवन ने पैरालंपिक्स के लिए प्रशिक्षण लेना शुरू किया । पवन के इस हौंसले से काफी लोगों को प्रेरणा मिलती है सोशल मीडिया पर लाखों की संख्या में लोग पवन को फाॅलो करते हैं। पवन के कई प्रशंसक कहते हैं कि पवन के हौंसले से उनकी जिंदगी बदल गई है और पवन को वो अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं । पवन ने आइडल टाॅक्स को बताया कि जिन लोगों की जिंदगी मुझे देखकर बेहतर हो सके और वो गलत कदम उठाने से बच जाएं तो यह मेरा सौभाग्य होगा और मैं इसी तरह मेहनत करके पैरालंपिक के लिए खुद को तैयार करूंगा और लोगों को प्रेरित करता रहूंगा। पैरालंपिक में देश के लिए मैडल लाना ही पवन का सपना है ।

गुज़ारिश : प्रिय पाठकों अगर आपको पवन कहार की उनके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करना चाहते हैं तो आप उन्हें आर्थिक मदद भेज सकतें हैं । पवन वाकई बहुत मेहनती और होनहार है और वह एक दिन पैरालंपिक में देश के लिए मैडल जरूर लेकर आयेंगे ।     मदद के लिए यहां क्लिक करें । 

 

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Author: Idol Talks

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