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रामदूतों ने संभाली मंदिरों के जीर्णोद्धार की कमान : कर्तव्य पथ पर अग्रसर “श्री राम सेना”

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जरूरी नहीं कि हर मनुष्य हर कार्य का प्रतिफल चाहने की इच्छा रखता हो, हमारे बीच कुछ ऐसे नि:स्वार्थ, जन एवं ईश्वर के सेवक भी होते हैं जो बिना किसी स्वार्थ के आमजन एवं ईश्वर के प्रति समर्पित होते हैं…. जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने… इस साक्षात्कार में हम आपको ऐसे ही कुछ रामदूतों से रूबरू करवायेंगे जो राम के भी हैं और आम जन के काम के भी हैं। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के एक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन “जय श्री राम सेना” की । जय श्री राम सेना संगठन (JSRS) सर्वप्रथम इंदौर में सक्रिय हुआ । यह पहला ऐसा संगठन है जिसने अपना पूरा ध्यान केवल मंदिर जीर्णोद्धार और सामाजिक समरसता पर दिया है। इस संगठन के सदस्यों को रामदूत बोला जाता है। क्योंकि ये सभी सदस्य श्री राम के सच्चे सेवक एवं अनुयाई हैं।

आइडल टाॅक्स से बातचीत में रामदूत दिव्यांश ने बताया कि जय श्री राम सेना संगठन इंदौर(JSRS) ने सबसे पहले चम्पेश्वर महादेव मंदिर से अपना कार्य करना प्रारंभ किया था  आख़िर क्या है चम्पेश्वर महादेव मंदिर की खासियत ?

इन्दौर के प्राचीन लालबाग पैलेस के परिसर में ही स्थित चम्पेश्वर महादेव मंदिर जो की 200 वर्षों से भी अधिक पुराना बताया जाता है जो की होलकर राजाओं द्वारा निर्मित है, कहा जाता है कि होलकर की रानियाँ यहाँ स्थित चम्पा बावड़ी से जल लेकर चम्पेश्वर महादेव मंदिर पर चढ़ाया करती थी एवं होल्कर राजा यहाँ हर शिवरात्रि पर ढोल नगाड़े के साथ पूजन पाठ किया करते थे! कुछ इतिहासकार इस मंदिर की नींव अहिल्या बाई होलकर से भी जोड़ते है !  आख़िर क्यों करना पड़ा चम्पेश्वर महादेव पर कार्य ? रामदूतों का आधार माने जाने वाले चम्पेश्वर महादेव मंदिर जहां से रामदूतों ने अपने कार्य का श्री गणेश किया वहाँ यह हालत थी कि कुछ असामाजिक तत्व मंदिर में ही पड़े रहते थे । लगातार यहां कई बैठक एवं संगोष्ठियों के माध्यम से मंदिर की मुख्य समस्याओं को चिह्नित किया गया और सभी रामदूतो के आपसी सहयोग और समन्वय से चम्पेश्वर मंदिर में रंगाई, पुताई, महायज्ञ, सुन्दरकाण्ड, पूर्ण स्वच्छता, लाइट का काम, मंदिर बैनर लगवाना और रहवासियों को मंदिर आने के लिए प्रेरित करना आदि कार्य किए गए। इन्हीं प्रयासों के चलते चम्पेश्वर मंदिर की पहले की और अब की स्थिति में गुणात्मक सुधार देखे गए।                                      चम्पेश्वर पर कार्य और बैठक के दौरान ही टीम को किसी रामदूत द्वारा कृष्णपुरा छतरी के मंदिरों की दुर्दशा से अवगत कराया गया। 

दौर के रजवाड़ा पर स्थित कृष्णपुरा छतरी जहां पुरातत्व क़ालीन 4 दिव्य एवं मनमोहक शिवालय उपस्थित है वहाँ पहले की स्थिति यह थी कि यहाँ भी असामाजिक तत्वों ने अपना जमावड़ा जमा रखा था एवं मंदिर बंद होने की वजह से यहाँ से अवैध धंधे सक्रिय हो चुके थे जैसे मादक पदार्थों की बिक्री आदि ! संगठन ने कृष्णपुरा के मंदिर समूहों की स्थिति सुधार के लिए दिन-रात एक कर दिए तथा कई महीनों की शांतिपूर्वक बैठकों और प्रशासन पर लगातार बनाए गए दबाव के कारण कृष्णपुरा मंदिर समूह की अनके समस्याएं दूर की गई जैसे – प्रति सप्ताह स्वच्छता अभियान, गर्भ गृह की सफाई, पर्यटकों को जागरूक करना, मंदिरों में सीसीटीवी कैमरा लगवाना, सुरक्षा हेतु गार्ड की व्यवस्था, मंदिर परिसर में पौधारोपण, मंदिर पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ उन्हें कानूनी कार्यवाही से हटाना आदि।

कृष्णपुरा की सफलता के पश्चात् टीम JSRS ने हुकुमचंद मील में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत जी के आमंत्रण पर वहां साप्ताहिक बैठक आरम्भ की और उपरोक्त मन्दिर की समस्याओं को लिखित किया ।

आख़िर क्यों ख़ास है हुकुमचंद मिल पर स्थित प्राचीन शिव हनुमान मंदिर ! 

नगर सेठ कहलाये जाने वाले इंदौर के सेठ हुकुमचंद के हाथों से स्थापित शिवलिंग इस मंदिर में उपस्थित है जिसपर किसी समय में शिवलिंग पर धातु की जलाधारी आदि से सुसज्जित थी लेकिन वह चोरी हो गई एवं शिवलिंग को खंडित कर दिया गया! आज मंदिर की यह स्थिति थी की रात्रि में परिसर में पूर्ण अंधकार फेल जाता था! और सबसे मुख्य समस्या थी हनुमान मंदिर के गर्भ गृह में पड़ रहे जाले, परिसर में जमा कूड़ा एवं रात्रि का अंधकार!

पूर्व में किए गए कार्यों में संगठन ने स्वयं की धनराशि का प्रयोग किया था, अतः इस मंदिर के लिए फण्ड जुटाने की आवश्यकता हो गई थी। JSRS की सोशल मीडिया टीम ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए धन एकत्रीकरण का कार्यभार संभाला और कुछ दिनों में सनातनी हिंदू भाइयों द्वारा इतनी रकम जमा कर ली गई जिससे मंदिर की आधारभूत आवश्यकता पूर्ण हो सकें। मंदिर के रात्रि के घोर अंधकार को दूर करने के लिए लाइट की व्यवस्था और मंदिर परिसर, उद्यान क्षेत्र ने कचरे का निस्तारण तत्काल किया गया। प्राचीन शिव हनुमान मंदिर में और भी कार्य लंबित है जैसे खंडित शिवलिंग का पुनःरुधार करना जिसके लिए हमारी कानूनी टीम तत्परता से काग़ज़ी कार्यवाही कर रही है , जिन्हें शीघ्र ही पूर्ण करने की योजना लागू हैं।

अब एक ऐसे मंदिर पर लड़ाई शुरू है जो किसी “स्वयंभू ज्योतिर्लिंग” से कम नहीं!

जिस मंदिर के नाम से इंदौर को अपना नाम मिला, जी हा हम बात कर रहे हैं शहर के पंद्रिनाथ थाने के पीछे स्थित 4,500 साल पुराने “इंद्रेश्वर महादेव मंदिर” की !  यहाँ का इतिहास है की यहाँ भगवान इन्द्र ने अपने सफ़ेद दाग़ की बीमारी से छुटकारा पाने हेतु तपस्या की थी एवं मालवा में बारिश की पूर्ति के लिए अहिल्या बाई इस मंदिर को जल मग्न किया करती थी जो प्रथा आज तक चलती आ रही है!

प्राचीन इंद्रेश्वर महादेव मन्दिर जो कि अपनी वास्तविक पहचान खोए बैठा है, ऐसे मंदिर पर आगामी कार्य किए जायेंगे। यहां रामदूतों की टीम निरीक्षण कर चुकी है और एक साप्ताहिक स्वच्छता अभियान भी आयोजित किया गया है । ऐसी स्थिति में टीम को कई उचित साधन जुटाकर इंद्रेश्वर मंदिर को हिन्दुओं के समक्ष प्रस्तुत करना है, एवं सरकार के समक्ष भी यह माँग रखनी है कि इस प्राचीन भेंट को भ्रष्टाचार की भेंट ना चढ़ाया जाए !

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Author: Idol Talks

3 Comments

  1. हिन्दूओं के सम्मान में!
    जय श्री राम सेना मैदान में🚩

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